शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010

पुराने वर्ष की स्मृतियाँ और नव वर्ष का स्वागत

कल नव वर्ष आएगा,
साथ में अगणित खुशियाँ लाएगा!
मगर इस वर्ष का पतझड़,
बोझिल आंखे,जागी रातें
कुछ विस्मृत स्मृतियाँ,
ये नव बर्ष भी विस्मृत नहीं कर पायेगा…
कल नव वर्ष आएगा!

कुछ नये रिश्ते बनाएगा,
कुछ महफ़िलों को सजायेगा,
कुछ चूड़ियों को खनकायेगा,
हर शख्श मुस्करायेगा..
मगर इन सब के बीच,
वो पुराने रिश्ते,वो पुराना वर्ष,
बहुत याद आएगा…
कल नव वर्ष आएगा…


ये नववर्ष आएगा उस मजदूर के लिये भी,
जो पत्थरों को तोड़ता है,
ये वर्ष भी हर वर्ष की तरह वो बितायेगा..
शाम को घर लौटेगा तो,
बूढी माँ को अलाव के सामने,
अपने बच्चे को झोपडी में
ठिठुरता पायेगा….
और कुछ करे न करे,नववर्ष में,
फटे कम्बल और टूटे झोपडी मे,
नववर्ष मनायेगा….
वो मजदूर इसे क्या समझ पायेगा???


उत्पन्न करेगा कामनाओ का पल्लव,
बंद हो सकता है तामसी विप्लव,
होगा प्रकृति का नव श्रृंगार
लाएगा ये बसंत का अम्बार,
मगर
वो चूड़ियाँ जो गुम है,
वो पायल जो मूक है,
वो टूटा सा दर्पण,
अतीत की याद दिलायेगा!
कल नव वर्ष आएगा….


इक लकीर सी खीच गयी है,
उधर और इधर में,
अमीर और गरीब में,
नए और पुराने में,
उसमें और मुझ में,
क्या ये नववर्ष उस लकीर को मिटायेगा?????
क्या ये वर्ष अपने अस्तित्व को झुठला पायेगा????
कल नव वर्ष आएगा……


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